Chapter-2
वित्तीय प्रबंध और नियंत्रण की सामान्य प्रणाली
I धनराशि की प्राप्ति:(5 से 7)
नियम 5: सरकार या उसकी ओर से प्राप्त की गई समस्त धन राशियों को अविलंब सरकारी लेखों में लाया जाएगा
नियम 6: सरकार की बकाया या सरकार की कस्टडी में जमा हेतु प्राप्त धन राशियों(नियम 5 के अनुसार) को राज्य की संचित निधि / राज्य के लोक लेखा में जमा किया जाएगा
नियम 7 : निर्धारण संग्रह एवं नियंत्रण : इसके अनुसार राजस्व या संबंधित प्रशासनिक विभाग का यह कर्तव्य है की सरकारी बकाया का सही एवं शीघ्र निर्धारण संग्रहण एवं लेखांकन करके उन्हें कोषागार में जमा करवाया जाए
II व्यय एवं धन राशियों का भुगतान (नियम 8 से 13)
नियम 8: कोषागार से धन राशि निकालना ,सामान्य सिद्धांत:
- वित्त विभाग की सहमति के बिना धनराशि निवेश के लिए सरकारी लेखे से नहीं निकाला जाएगा या उसे अन्य जगह जमा नहीं कराया जाएगा
- निधियां तभी आहरित की जाएंगी जब तुरंत भुगतान करना आवश्यक हो या सक्षम प्राधिकारी का आदेश हो
नियम 9: पब्लिक फंड से व्यय करने की आवश्यक शर्तें:
- सरकार के आदेशों या सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति के बिना कोई भी प्राधिकारी लोक निधियों में से उस समय तक कोई व्यय नहीं करेगा या दायित्व में शामिल नहीं होगा
नियम 10: वित्तीय औचित्य का स्तर :
- व्यय, अवसर की मांग से अधिक नहीं होना चाहिए तथा किसी भी रुप में स्वयं के लाभ या व्यक्ति विशिष्ट या समूह के लाभ के लिए नहीं किया जाना चाहिए
नियम 11: व्यय का नियंत्रण:
- १. नियंत्रण अधिकारी यह देखेगा कि खर्च करने वाली इकाइयों को आवंटित निधियां लोक हित में तथा उन उद्देश्यों पर खर्च की गई है जिनके लिए धनराशि का प्रावधान किया गया था
- उचित नियंत्रण रखने के लिए लेखा शिर्षवार व्ययों का एक रजिस्टर प्रपत्र G.A.19 में रखा जाएगा
- २. नियंत्रण अधिकारी को अधीनस्थ अधिकारियों से सूचना प्राप्त करने के लिए उसे प्रपत्र G.A. 27 मैं एक मासिक देयता विवरण प्राप्त करना चाहिए जिसमें उस माह के अंत तक की बकाया देयताओं को दिखाया जाना चाहिए जिससे वह विवरण संबंधित है
- ३. महालेखाकार से अंक मिलान/पुनर्मिलान : प्रत्येक नियंत्रण प्राधिकारी उसके अधीन कार्यरत सभी कार्यालय अध्यक्षों से उनके द्वारा प्रतिमाह किए जाने वाले भुगतान का मासिक लेखे प्राप्त करेगा यदि महालेखाकार से लेखों के अंक मिलान करने पर कोई कमी या गलती ज्ञात हो तो निर्धारित प्रपत्र में उसका विवरण तैयार कर महालेखाकार को प्रेषित किया जाए
- प्रत्येक कार्यालय अध्यक्ष उसके व्ययों / भुगतान एवं प्राप्त राशियों के लेखों का मिलान उससे संबंधित कोषागार द्वारा IFMS प्रणाली के अंतर्गत तैयार किए जाने वाले लेखो से माह में दो बार कराएगा तथा प्रतिमाह दो बार एक प्रमाण पत्र संबंधित कोषागार को प्रेषित करेगा कि उसके तथा कोषागार द्वारा संधारित लेखो में कोई भी भिन्नता नहीं है
- इसके लिए फार्म संख्या G.A. 21,22 एवं 23 प्रपत्र निर्धारित किए गए हैं।
नियम 12: अनियमितताओं छीजत हानि एवं छल के प्रति आंतरिक जांच :
- नियंत्रण अधिकारी को यह देखना होगा कि अनियमितताओं को रोकने के लिए आंतरिक जांच हेतु उसके अधीनस्थ कार्यालयों में निर्धारित नियंत्रण प्रभावी रुप से किया गया है या नहीं व पर्याप्त कर्मचारी है या नहीं
- विभागाध्यक्षों के कार्यालयों में रखे गए लेखों की आंतरिक जांच निदेशक निरीक्षण विभाग राजस्थान जयपुर द्वारा की जाएगी तथा यदि गंभीर त्रुटियां पाई गई तो वह उसकी सूचना सरकार के वित्त विभाग को भेजेगा तथा उसकी एक प्रति संबंधित प्रशासनिक विभाग को भी भेजेगा
- सरकार के विभागों /कार्यालयों में संधारित लेखों की विशेष लेखा परीक्षा निरीक्षण विभाग राजस्थान जयपुर द्वारा सरकार के वित्त विभाग के निर्देशों के अनुसार की जाएगी (आदेश दिनांक 5.12.2006)
- प्रत्येक विभाग अध्यक्ष एवं नियंत्रण प्राधिकारी का यह कर्तव्य होगा कि निदेशक निरीक्षण विभाग को उनके कार्य करने के लिए उचित सुविधाएं एवं उनके द्वारा रिपोर्ट तैयार करने में उनके द्वारा चाही गई सूचना पूर्ण रूप से उपलब्ध करा दी जाएं (आदेश दिनांक 28.5.2005 द्वारा जोड़ा गया)
नियम 13 : भुगतान में विलंब नहीं किया जाए
III लेखों के संधारण( मेंटेनेंस) के संबंध में कर्तव्य (नियम 14 से 17)
नियम 14:
- सरकारी कर्मचारी जिसे सार्वजनिक धनराशि के संबंध में लेखा तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है वह उसे पूरा करने सही रखने निर्धारित तिथि के भीतर प्रेषित करने के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होगा
नियम 15 :
- जो भी अधिकारी किसी प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर या प्रति हस्ताक्षर करता है वह प्रमाणित किए गए तथ्यों के लिए खुद उत्तरदाई होगा
नियम 16:
विभागीय अधिकारियों का दायित्व:-
- सरकार द्वारा निर्धारित किए गए प्रारूपों में लेखे उचित रूप से संधारित किए जाएं
- यह लेखे अविलंब नियंत्रक अधिकारी या महालेखाकार को भेजा जाए
- लेखे स्पष्ट होने चाहिए ताकि विश्वसनीय साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जा सके
नियम 17: लेखा परीक्षा द्वारा सूचना मांगना :
प्रत्येक विभागीय एवं नियंत्रक अधिकारी का यह कर्तव्य है कि:
- महालेखाकार को उसके कार्यों के निर्वहन हेतु समस्त सुविधाएं प्रदान करें एवं उन्हें सभी सूचनाएं दे जो मांगी जाए
- यदि पत्रावलीयों या उनके किसी भाग की विषय सूची अत्यंत गोपनीय हो तो उस तथ्य का उल्लेख करते हुए लेखा कार्यालय के अध्यक्ष को व्यक्तिगत भिजवाई जाए
IV संविदाएं / कॉन्ट्रैक्ट्स (नियम 18 से 19)
नियम 18:
- कोई भी प्राधिकारी जिसे सरकार के आदेश या आदेश के अधीन ऐसा करने की शक्ति नहीं दी गई हो कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं करेगा
- संविधान के अनुच्छेद 299 के ऊप-पैरा (१) में दी गई शक्तियों के तहत राज्यपाल की ओर से प्राधिकृत किए गए अधीनस्थ अधिकारी राज्यपाल की ओर से कॉन्ट्रैक्ट एश्योरेंस निष्पादित कर सकेंगे
नियम 19: सामान्य सिद्धांत :
लोक निधि से व्यय की जाने वाली सभी संविदा या करारों को करने के लिए शक्ति प्राप्त अधीनस्थ प्राधिकारियों द्वारा निम्नलिखित सिद्धांतों का पालन किया जाएगा-
- संविदा की शर्तें स्पष्ट एवं निश्चित होनी चाहिए
- संविदा के मानक प्रारूपों को काम में लिया जाएगा,जहां मानक प्रारूप उपयोग में नहीं लिए जाते वहां विधिक एवं वित्तीय परामर्श लिया जाएगा
- बिना सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के संविदा में परिवर्तन नहीं किया जाएगा, संविदा की दर से अधिक का ठेकेदारों को भुगतान वित्त विभाग की पूर्व अनुमति के बिना नहीं किया जाएगा
- अनिश्चित अनंत देयता वाली संविदा वित्त विभाग की पूर्व सहमति के बिना नहीं की जाएगी
- ठेकेदारों को सौंपी की सरकारी संपत्ति की सुरक्षा के लिए संविदा में उपबंध किया जाएगा
- स्वीकृत करने हेतु निविदा का चयन करने में निविदा दाता व्यक्तियों या फर्मों की वित्तीय स्थिति पर विचार किया जाएगा
- जहां किसी संविदा के 3 वर्ष से अधिक अवधि तक चालू रहने की संभावना हो वहां एक ऐसा बंदा शामिल किया जाएगा जिसमें 3 माह के नोटिस की अवधि समाप्त होने पर संविदा को वापस लेने या रद्द करने की शक्ति बिना किसी शर्त के सरकार को प्राप्त होगी
- सभी निविदाताओं के ठेकेदारों की ओर से चूक करने पर निश्चित या मुआवजे की वसूली के लिए एक उपबंद होगा
- ठेकेदार द्वारा संविदा को पूर्ण करने की प्रतिभू के रूप में उसके निकट संबंधित व्यक्ति को तब तक स्वीकार नहीं किया जाएगा जब तक उसकी स्वयम की अलग संपत्ति न हो
- संविदा करने से पहले यह निर्णीत किया जाना चाहिए कि बिक्री कर एवं अन्य स्थानीय करो एवं शुल्क का भुगतान किस पक्षकार द्वारा किया जाएगा
- ऐसे क्रयो , जिसमें विदेशों से माल आयात करना है, की सभी संविदाओं के नियम के रूप में F.O.B के आधार पर खरीद करने के लिए उपबंध किया जाएगा
- जहां संविदा में उत्पाद शुल्क/शुल्क भाड़ा, कच्चे सामान के संबंध में उतार चढ़ाव के लिए उपबंध किया गया हो वहां उसकी कैलकुलेशन करने के आधार का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाएगा
- 100000 रु एवं उससे अधिक के क्रय के लिए समस्त संविदा एवं करारों की प्रतियां महालेखाकार राजस्थान (लेखा परीक्षा) राजस्थान को भिजवाई जाएंगी
V दुर्विनियोग , कपट एवं हानियां (नियम 20 से 23)
नियम 20: हानियों की रिपोर्ट :-
- किसी कोषागार या अन्य किसी कार्यालय /विभाग में सरकार या उसकी ओर से धारित सार्वजनिक धनराशि ,स्टांप, सामानों या अन्य संपत्तियों के दुर्विनियोग से हुई हानि की सूचना अविलंब संबंधित अधिकारी द्वारा अपने से ठीक वरिष्ठ अधिकारी एवं महालेखाकार को भेजी जाएगी
नोट : प्रत्येक कार्यालय में प्रपत्र G.A. 163 मे दुर्विनियोग आदि का एक रजिस्टर रखा जाएगा। - यदि अनियमितता का पता लेखा परीक्षा द्वारा प्रथम बार में लगाया जाता है तो महालेखाकार इसकी रिपोर्ट तुरंत संबंधित प्रशासनिक प्राधिकारी को तथा यदि आवश्यक समझा गया तो सरकार को भी भेजेगा
- कोषागार में प्रेषण के दौरान या उसमें से शेष, सिक्के आदि निकालने के समय होने वाली हानि के प्रत्येक मामले की सूचना वित्त विभाग को दी जाएगी
- निम्न हानियों की रिपोर्ट महालेखाकार, वित्त विभाग एवं प्रशासनिक विभाग को दी जाएगी:
* 2000/- से अधिक की हानियां जो सामान क्रय या कार्य के निष्पादन के मामले में पुनः निविदाएं मांगने के कारण हुई हो
* पुनः निविदाएं मांगने या पुनः नीलामी/पुनः विक्रय के कारण हुई हानियां जहां संपत्ति के खुले विक्रय या नीलामी द्वारा अनुध्यात व्ययन का मूल्य 25,000/- या अधिक है - संपत्ति के क्रय / व्ययन में पुनः निविदाएं आमंत्रित करने/ पुनः नीलामी करने के कारण हुई किसी भी हानि की सूचना प्रत्येक वर्ष 30 अप्रैल तक निर्धारित प्रपत्र में भेजी जाएगी।
अपवाद: निम्न हानियों के संबंध में महालेखाकार को सूचना देने की आवश्यकता नहीं है-
- छोटे मामलों में जिनमें प्रत्येक मामले में हानि 2000/- से अधिक की ना हो तथा इसमें ऐसी महत्वपूर्ण बात ना हो
- यदि इन हानियों से किसी पद्धति में किसी दोष का पता चले तथा जिसके संशोधन के लिए सरकार के आदेशों की आवश्यकता हो ।
नियम 21: दुर्घटनाएं:
- प्राकृतिक कारण से अचल संपत्ति की 15000/- से अधिक की समस्त हानियों की तत्काल सूचना विभागीय अधिकारी द्वारा विभाग अध्यक्ष को तथा विभागाध्यक्ष द्वारा सरकार को दी जाएगी। जांच पूर्ण होने पर संबंधित विभागीय अधिकारी द्वारा विभागाध्यक्ष को एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी जाएगी इसकी एक प्रति महालेखाकार को भी भिजवाया जाएगा।
- ऐसी हानियां जिनका मूल्य(पुस्तक मूल्य) 15,000/- से ज्यादा ना हों उनके बारे में सूचना विभागाध्यक्ष को भिजवाई जाएगी इसके बारे में सरकार या महालेखाकार को रिपोर्ट भेजने की जरूरत नहीं
नियम 22: हानियों आदि के लिए उत्तरदायित्व:
- प्रत्येक सरकारी कर्मचारी उसके द्वारा किए गए कपट या हानि के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होगा,
विस्तृत निर्देश परिशिष्ट 3 में दिए गए हैं।
- सरकारी कर्मचारी से यह अपेक्षा रखी जाती है कि वह वित्त एवं लेखा नियमों के बारे में पूर्ण जानकारी रखें
नियम 23: हानियों आदि का अपलेखन(written-off):
- सार्वजनिक धनराशि की ऐसी हानि जिसकी वसूली संभव ना हो को सक्षम प्राधिकारी, सरकार द्वारा निर्धारित सीमाओं एवं शर्तों के अधीन अंतिम रूप से अपलिखित कर सकेगा
- उपर्युक्त आदेश कोषागार में नकद की हानि पर लागू नहीं होते। हानि के ऐसे प्रत्येक प्रकरण की रिपोर्ट निदेशक निरीक्षण विभाग को भेजी जाएगी तथा सरकार के लेखों में किसी भी मद को अपलिखित करने से पूर्व उसके लिए विशेष अनुमति प्राप्त करनी होगी
- हानि के लिए उत्तरदाई व्यक्ति से वेतन में कटौती करके वसूली गई समस्त धनराशि संबंधित प्राधिकारी के पास भिजवा दी जाएगी।
VI विभागीय विनियम
नियम 24: समस्त विभागीय नियम जिनमें वित्तीय प्रकृति के निर्देश शामिल हो या जिनका महत्वपूर्ण वित्तीय प्रभाव संभव हो को वित्त विभाग द्वारा या उसकी अनुमति से ही बनाया जाएगा
VII लेखा अधिकारियों आदि के कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व
नियम 25: लेखा अधिकारियों, सहायक लेखा अधिकारियों, लेखाकार एवं कनिष्ठ लेखाकार के कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व परिशिष्ट 4 व 5 में उल्लेखित किए गए हैं
VIII प्रत्यायोजन
नियम 26 : विभिन्न प्राधिकारियों को वित्तीय हानियों का प्रत्यायोजन इन नियमों के भाग III में विहित किया गया है
I myself Assistant accounts officer grade first. I want to know that it is essential or not that a government bank account must be operated by joint signature to avoid fraud or misuse.
GF&AR PART 2ND BHEJNE KA KSHT KRE