Chapter-6
भुगतान
(अध्याय 6 वित्त विभाग के आदेशानुसार दिनांक 1.2.2010 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया)
I सामान्य अनुदेश
नियम 74: दिनांक 11.9.2013 द्वारा वर्तमान नियम 74 के स्थान पर प्रतिस्थापित किया गया।
(क) भुगतान के दावे:
- सरकार के विरुद्ध दावे कर्मचारियों के व्यक्तिगत भुक्तान, आकस्मिक व्यय, विविध व्यय , रिफ़ंड सहायता अनुदान, सामग्री क्रय, निर्माण कार्य, उपकरणों एवं ऋणों तथा अग्रिम के भुगतान से संबंधित हो सकते है।
- स्थाई अग्रीम, पुलिस विभाग की गुप्त निधि, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की पेंशन योजनाओं ,छात्रवृति एवं शिक्षा विभाग के ट्रांसफर वाउचर के अतिरिक्त अन्य प्रकार के सरकारी भुगतान नगद में नहीं किए जाएंगे।
1): कोषागार में बिलों को पारित करना:
- आहरण एवं वितरण अधिकारियों(DDO) से बिल प्राप्त होने के पश्चात कोषागार कंप्यूटर प्रणाली के माध्यम से प्रत्येक बिल को टोकन संख्या ,दिनांक सहित आवंटित की जाएगी। उसके पश्चात संबंधित ऑडिटर/ लेखाकार द्वारा कोषागार नियम 61(2) के अनुसार जांच की जाएगी व सही पाए जाने पर बिल पारित किया जाएगा और कोषागार वारण्ट पंजिका और कंप्यूटर में दर्ज किया जाएगा,इसके पश्चात बिल अंतिम अधिप्रमाणन के लिए कोषागार अधिकारी/सहायक कोषागार अधिकारी को प्रस्तुत किया जाएगा।
2): चेक जारी करना / इलेक्ट्रॉनिक भुगतान:
- बिल पारित करने के पश्चात कोषागार उसके लिए चेक जारी करेगा और चेक आहरण एवं वितरण अधिकारी को दिया जाएगा या बिल पारित करने की पश्चात कोषागार द्वारा बैंकों को इलेक्ट्रॉनिक भुगतान पत्र(EPA) भेजा जाएगा ताकि लाभान्वित के बैंक खाते में राशि जमा करा दी जाए। भुक्तान के लिए पारित बिल कोषागार/उपकोषागार में रखा जाएगा।
3): चेक की परिभाषा:
- EPA(इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट एडवाइस): यह एक डिजिटल हस्ताक्षरीत दस्तावेज है जिसे कोषागार द्वारा इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिंग सिस्टम(ECS) पर अपलोड किया जाता है, इसे डाउनलोड करके संबंधित बैंक , बताए गए संबंधी लाभर्ती के खाते में राशि जमा करता है।
4): चेक का प्रारूप:
- इसमें चेक का प्रारूप दिया गया है।
- कोषागार को चेक जारी करना: सभी चेक निदेशक, कोष एवं लेखा(DTA) द्वारा गवर्नमेंट सिक्योरिटी प्रेस से मुद्रित कराए जाएंगे। DTA द्वारा सभी कोषागारों को उपलब्ध कराने हेतु आवश्यक उचित मात्रा में मुद्रित चेक बुक का स्टॉक रखा जाएगा। इन सभी चेक का स्टॉक रखने व उसका रिकॉर्ड संधारित करने के लिए कोषागार जयपुर केंद्रीय कोषागार का कार्य करेगा। कोषागारों द्वारा समय समय पर (त्रैमासिक) अपनी आवश्यकता अनुसार सप्लाई प्राप्त की जाएगी।
5): चेकों की सुरक्षा:
- DTA से प्राप्त चेक बुक्स के सभी मंडलों को सावधानीपूर्वक कोषागार /उपकोषागार के डबल लॉक में रखा जाएगा
- प्रत्येक बैंक शाखा /उपकोषागार के लिए प्रथक प्रथक चेकबुक उपयोग में लिए जाएंगे।
- कोषाधिकारी समय समय पर किसी बैंक शाखा पर उपयोग हेतु जारी किए गए चेक्स के चैक नंबर ,बैंक को सूचित करेगा
- कोषागार/उपकोषागार में चेक लेखक को प्रभारी अधिकारी द्वारा प्रतिदिन चेक दिए जाएंगे। प्रतिदिन बचे हुए चेक को चेक लेखक द्वारा प्रभारी अधिकारी की उपस्थिति में सिंगल लॉक में रखा जाएगा।
6): चेक की वैद्यता:
- चेक जारी किए जाने की तिथि से 30 दिन तक भुगतान योग्य होंगे। मार्च में जारी किए गए चेक्स की वैध्यता जारी किए जाने की तिथि के 30 दिन तक या मार्च माह के अंतिम कार्य दिवस तक (जो भी पहले हो) होगी।
7): चैक लेखन में सामान्य सावधानियां:
- चेक में धनराशि का लेखन नियम 79(3) के अनुसार होगा।
- चेक्स में सभी सुधार, परिवर्तन आदि जारी करने वाले प्राधिकारी के हस्ताक्षर द्वारा प्रमाणित होना चाहिए।
8): तृतीय पक्ष को भुगतान:
- यदि DDO भुगतान पाने वाले की पूर्ण जानकारी देते हुए कोषागार को प्रारूप G.A. 106 में सलाह जारी करता है तो चैक तीसरे पक्षकार के पक्ष में जारी किया जा सकेगा। DDO इसके लिए उत्तरदायी होगा।
9): चेकों का रद्दीकरण:
- चेक, DDO के लिखित अनुरोध पर कोषागार/उप कोषागार द्वारा रद्द किया जा सकता है। चेकों के रद्दीकरण का लेखा TY-3 और TY-4 मैं भी अभिलिखित किया जाएगा।
(ख) ECS(इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरेंस सिस्टम) के माध्यम से भुगतान:
- जो कर्मचारी ecs के माध्यम से वेतन प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें संबंधित बैंक शाखा से एक प्रमाणित सहमति पत्र, DDO को प्रस्तुत करना होगा। DDO कर्मचारियों के सहमति पत्र एकत्र कर प्रायोजक बैंक को निर्धारित प्रपत्र में ecs के लिए प्रस्तुत करेगा
- प्रत्येक DDO द्वारा वेतन बिल की ‘soft copy’ प्रत्येक माह की 20 तारीख से पूर्व कोषागार को प्रस्तुत की जाएगी। कोषागार, DDO को ‘hard copy’ उपलब्ध कराएगा। DDO उसे भुक्तान हेतु कोषागार को प्रस्तुत करेगा।
- ECS के माध्यम से भुगतान किए जाने वाले वेतन बिलों को कोषागार में माह के अंतिम कार्य दिवस से 10 दिन पूर्व प्रस्तुत किया जाएगा।
(ग) इलेक्ट्रॉनिक एडवाइस के आधार पर भुगतान:
- बिल पारित करते समय कोषाधिकारी/उपकोषाधिकारी को विकल्प के रूप में चयन करना होगा के बिल का भुगतान ECS तथा NEFT सिस्टम में से किसमें करना है।
- कोषाधिकारी सॉफ्ट फाइल तैयार कर उसके साथ अपने डिजिटल हस्ताक्षर संलग्न करेगा।
- कोषाधिकारी द्वारा डिजिटल हस्ताक्षर करने पर वह फाइल संबंधित बैंक को भुक्तान के लिए उपलब्ध हो जाएगी।
- संबंधित बैंक उस फाइल को डाउनलोड करेगा तथा उसको परीक्षण करने के बाद संबंधित कर्मचारी के बैंक खाते में धनराशि जमा करेगा। इसके बाद बैंक उस फाइल को अपने इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में अपलोड कर देगा।
- प्रत्येक DDO का यह कर्तव्य होगा कि वह प्रत्येक बिल पर सही एवं स्पष्ट बैंक संबंधी विवरण अंकित करें। DDO ही किसी गलती/नियम विरुद्ध भुगतान के लिए उत्तरदाई होगा।
नियम 75: बिल की परिभाषा: बिल सरकार के विरुद्ध दावों का विवरण है जिसमें सकल(gross) या मदवार दावे की प्रकृति और राशि का ब्यौरा दिया जाता है तथा इसमें साधारण रसीद के रूप में यह विवरण शामिल होता है।
नियम 76: बिलों पर हस्ताक्षर एवं प्रति हस्ताक्षर: किसी कार्यालय के बिल का भुगतान उस पर ddo के मूल हस्ताक्षर के बिना नहीं किया जाएगा, हस्ताक्षर की मुहर स्वीकार नहीं होगी।
नियम 77: नमूने के हस्ताक्षर: कार्यालय अध्यक्ष/आहरण एवं वितरण अधिकारी/ प्रादेशिक अधिकारी/ विभाग अध्यक्ष या चेको को आहरित करने या बिलों पर हस्ताक्षर या प्रतिहस्ताक्षर करने के लिए प्राधिकृत कोई भी प्राधिकारी अपने हस्ताक्षर अपने से उच्चतर अधिकारी या अन्य अधिकारी जिसके के नमूने के हस्ताक्षर पहले से कोषागार या बैंक में है,के मार्फत कोषागार या बैंक में भिजवाएगा। जब कोई ऐसा अधिकारी किसी अन्य अधिकारी को अपने पद का कार्यभार संभालता है तो वह भी कार्यभार संभालने वाले अधिकारी के नमूने के हस्ताक्षर कोषागार बैंक को भिजवाया।
नियम 78: नया कार्यालय सृजित करने के समय अपेक्षाओं की पूर्ति: जब कोई नया कार्यालय स्थापित किया जाता है तो विभागाध्यक्ष यह सुनिश्चित करेंगे की निम्नलिखित दस्तावेज संबंधित कोषागार अधिकारी एवं बैंक को भेज दिए गए हैं:
- नए कार्यालय के सृजन के लिए सरकार की स्वीकृति की एक प्रति
- इन नियमों के नियम 3 के अधीन कार्यालय अध्यक्ष घोषित करने के आदेश की प्रतिलिपि
- नियंत्रक प्राधिकारी द्वारा या DDO द्वारा प्रथम कार्यालय अध्यक्ष के अनुप्रमाणित नमूने के हस्ताक्षर
नियम 79: बिल तैयार करना एवं उसका प्रारूप:
1.) सरकार द्वारा किसी भी राशि के भुगतान के दावे के रूप में कोषागार में प्रस्तुत किसी बिल में निम्नलिखित विवरण दिए जाएंगे:
- दावों का स्वरूप ; दावा की गयी राशि ; अवधि जिससे दावा संबंधित है ; प्रभार की स्वीकृति का आदेश ;
बिल में की गई कटौतियां के लिए अथॉरिटी ; पूर्ण लेखा वर्गीकरण ; विभागों के बीच में समायोजन के मामले में विभाग का नाम; प्रत्येक शीर्ष के अधीन सरकारी कर्मचारियों के वेतन एवं भत्ते से वसूली का प्रकार; विनियोग।
2.) a. ) बिलों के केवल सिस्टम जनरेटेड या मुद्रित प्रपत्र ही काम में लिए जाएंगे। यदि मुद्रित प्रपत्र उपलब्ध ना हो तो फोटोस्टेट, टाइप या साइकलोंस्टाइल किए गए प्रपत्र को काम में लिया जा सकेगा।
(परिपत्र दिनांक 11.9.2013 द्वारा प्रतिस्थापित)
b. ) कोषागार द्वारा केवल मूल बिल सिस्टम जनरेटेड ही स्वीकार किए जाएंगे।
(परिपत्र दिनांक 11.9.2013 द्वारा प्रतिस्थापित)
3.) DDO द्वारा सभी बिलों पर स्याही से या बॉल पेन से हस्ताक्षर किए जाएंगे। प्रत्येक बिल की राशि शब्द एवं अंको दोनों में लिखी जाएगी। रुपयो की पूर्ण संख्या के बाद शब्द ‘मात्र’ लिखा जाएगा।
4.) बिल में किए गए सभी संशोधन एवं परिवर्तन DDO के दिनांकित हस्ताक्षरों से प्रमाणित होने चाहिए। किन्ही भी बिलों को मिटाना एवं ऊपर लेखन मना है, आवश्यक होने पर अशुद्ध प्रविष्टि लाल स्याही से रद्द की जाएगी तथा उसके स्थान पर शुद्ध प्रविष्टि दर्ज की जाएगी।
5.) दो या अधिक प्रमुख लेखाशिर्ष में प्रभारो को एक बिल में शामिल नहीं किया जाएगा। यह नियम वेतन के साथ आहरित सरकारी कर्मचारियों के भत्तों पर लागू नहीं होंगे।
6.) जब किसी भी प्रकार का कोई बिल दो प्रतियों या तीन प्रतियों में चाहा गया हो तो केवल एक प्रति पर ही पूर्ण हस्ताक्षर किए जाएंगे तथा अन्य प्रति या प्रतियों पर लघु हस्ताक्षर किए जाएंगे
नियम 80: संदेशवाहक के मार्फत भुगतान:
- जब प्राप्तकर्ता किसी चेक का भुगतान प्राप्त करने के लिए संदेशवाहक को भेजता है तो उसे एक प्राधिकार पत्र प्रस्तुत करने के लिए कहा जाएगा तथा संदेश वाहक के हस्ताक्षर चेक पर कराए जाएंगे।
- नकद के लेनदेन से बचने के लिए चेक डाकघर के पक्ष में लिखे जा सकते हैं
नोट: मनीऑर्डर, बैंक ड्राफ्ट द्वारा किए गए भुगतान के लिए एक रजिस्टर प्रपत्र G.A 103 में रखा जाएगा
नियम 81: पहचान पत्र पर भुगतान:
- बैंक, इस नियम से सलंग्न प्रपत्र में खजांची द्वारा परिचय पत्र प्रस्तुत करने पर ही विभागों/ कार्यालयों को सरकारी बिलों का भुगतान करेंगे। यह परिचय पत्र कोषागार अधिकारियों द्वारा रखे जाएंगे तथा वहां उन्हें विभागाध्यक्ष/कार्यालय अध्यक्ष को जारी करेगा।
- पहचान पत्र धारक के अतिरिक्त अन्य किसी को भी भुगतान नहीं किया जाएगा।
- नोट: कोषागार से चेक प्राप्त होने पर ddo उसे दस्तावेजों सहित बैंक को भुक्तान के लिए प्रस्तुत करेगा।
नियम 82: सरकारी लेन देनो को पूर्ण रुपयो में परिवर्तित करना:
- राजस्व एवं व्यय या पुस्तक समायोजन के संबंध में, राज्य बीमा प्रीमियम के सेवा कर के अतिरिक्त सरकारी लेन देनो को, जिनमें रुपए की भिन्न शामिल हो, निकटतम पूर्ण रूप में परिवर्तित कर लेखों में लाया जाएगा। 50 पैसे एवं इससे अधिक के भिन्न को अगले उच्चतर रुपए में पूर्ण परिवर्तित कर लिया जाएगा तथा 50 पैसे से कम की भिन्न को छोड़ दिया जाएगा।
- इन मामलों में यदि किसी कर्मचारी के पास एक से अधिक पॉलिसी है तो रुपयों का पूर्ण परिवर्तन ,बीमा प्रीमियम के कुल योग पर ही किया जाएगा न की व्यक्तिक प्रीमियम पर किया जाएगा।
- यात्रा भत्ता /चिकित्सा दावों के मामलों में रुपयो का पूर्ण परिवर्तन अंतिम स्टेज पर किया जाएगा न कि प्रत्येक आहरण के संबंध में।
- राज्य बीमा प्रीमियम के सेवा कर के मामले में रकम पूर्णअंकित नहीं की जाएगी। यह वास्तविक आधार पर संगणित की जाएगी।
- ऋणों एवं अग्रिम पर ब्याज की वसूली पूर्ण रुपयों में की जाएगी।
नियम 83: बिल पंजिका: सभी बिलों को, कोषागार में भेजने से पूर्व प्रपत्र G.A 59 में संधारित्र एक बिल रजिस्टर में दर्ज करके उनपर संख्या लिखी जाएगी।
नियम 84: दावों को प्रस्तुत करना:
- इसमें इसके पश्चात उपबंधित के सिवाय, DDO को प्रस्तुत किए गए बिल या क्लेम तथा कोषागार में जमा कराए गए सभी चेक भुगतान के लिए विधिवत रसीद दी जाएगी तथा जहां आवश्यक होगा उन पर टिकट लगाया जाएगा एवं उनके साथ प्रपत्र G.A 23 में एक पर्ची लगाई जाएगी।
- बिल प्रेषण पंजिका:
i.) कार्यालय अध्यक्ष, प्रपत्र G.A 24 में एक बिल प्रेषण पंजिका संधारित करेगा इस पंजिका की जांच राजपत्रित अधिकारी द्वारा सप्ताह में दो बार की जाएगी
ii.) जब DDO प्रस्तुत बिलों के चैक कोषागार से प्राप्त करें तो वह प्रपत्र G.A 24 में बिल प्रेषण पंजिका में चेक संख्या और तिथि दर्ज करेगा
iii.) कोषागार द्वारा पारित किए गए सभी चैक भुगतान प्राप्त करने के लिए बैंक में भेजे जाने से पूर्व प्रपत्र G.A 25 में बिलों के नकद भुगतान की निगरानी पंजिका में दर्ज किए जाएंगे।
– इलेक्ट्रॉनिक भुगतान की स्थिति में tv नंबर की रिपोर्ट सिस्टम पर उपलब्ध होगी। DDO इस संख्या की G.A 25 रजिस्टर के ‘Remark’ कॉलम में प्रविष्टि कर भुक्तान हो जाने की निगरानी रख सकता है।
(परिपत्र दिनांक 11.09.2013 द्वारा अंतःस्थापित)
नियम 85: रसीदो के लिए टिकट:
- 5000/- से अधिक की समस्त राशियों की रसीदों पर टिकट अवश्य लगाया जाने चाहिए। राजस्थान स्टांप अधिनियम के अनुसार निम्न टिकट स्टांप ड्यूटी से मुक्त होंगे-
a ) सरकार या सरकार की ओर से दी गई रसीदें
b.) विभागीय खरीदो के लिए सरकारी कर्मचारियों को भुगतान की गई राशि
c.) pwd एवं वन विभाग द्वारा आहरित चेक
d.) पोस्टल मनीऑर्डर पर प्राप्त कर्ता द्वारा एंडोर्स की गई रसीद
e.) अकाल राहत कार्यों पर किसी मजदूर द्वारा राहत कार्य की मजदूरी के लिए उसको भुगतान की गई 5000 से अधिक की राशियों के लिए दी गई रसीद
f.) राजपत्रित अधिकारी के बैंक खाते में जमा कराए गए उसके वेतन भत्तों का भुगतान - आपत्तियों एवं राजस्व की हानि से बचने के लिए कोषागार अधिकारियों को बिलों को तभी पारित करना चाहिए जब 5000 से अधिक के भुगतान के मामलों में बिलों पर उचित टिकट लगाकर रसीद दी गई हो।
- कैश मेमो मैं उसमें नामित व्यक्ति से राशि प्राप्त करने के लिए स्वीकृति होगी। 5000 से अधिक की राशि होने पर टिकट लगाना आवश्यक होगा।
नियम 86: उपकोषागार में भुगतान: इन नियमों के प्रावधानों या वित्त विभाग के आदेशों पर ही कोई भी बिल या चेक उपकोषागार में सीधे प्रस्तुत किए जाएंगे अन्यथा पहले वे कोषाधिकारी को प्रस्तुत किए जाएंगे और उसके बाद भुगतान आदेश दिया जाएगा।
नियम 87: बिल आदि की डुप्लीकेट प्रतियां: भुगतान किए जा चुके बिलो या अन्य दस्तावेजों की डुप्लीकेट प्रतियां इस आधार पर जारी नहीं की जाएंगी की मूल प्रति खो गई है।
नियम 88: बिलों को खोना और डुप्लीकेट बिल प्रस्तुत करना:
- किसी ऐसे बिल के मामले में जिस पर DDO द्वारा हस्ताक्षर कर दिए गए हैं परंतु जो भुगतान से पूर्व खो गया है, DDO कोषागार अधिकारी से भुगतान न किए जाने का प्रमाण पत्र प्राप्त करेगा। डुप्लीकेट बिल पर लाल स्याही से उसके मुख्य प्रश्न पर स्पष्ट रुप से शब्द ‘डुप्लीकेट’ लिखा जाएगा।
- यदि बिल/नकद पत्र प्रस्तुत करने से पहले ही खो जाते हैं तो DDO, क्लैमकर्ता से भुगतान नहीं करने का बंध पत्र प्राप्त करेगा। डुप्लीकेट बिल/नकद पत्र पर स्पष्ट रुप से उसके मुख्य भाग पर शब्द ‘डुप्लीकेट’ लाल स्याही से लिखा जाएगा।
नियम 89: वाउचर के बदले में प्रमाणपत्र या प्राप्तकर्ता की रसीद:
- ऐसे मामलों में जैसे बिल,रसीद आदि के खोने के कारण वाउचर द्वारा या प्राप्तकर्ता की रसीद द्वारा भुगतान को पुष्ट करना संभव ना हो तो भुगतान प्रमाण पत्र पर DDO द्वारा विधिवत हस्ताक्षर किए जाएंगे तथा उस प्रमाण पत्र को कार्यालय के रिकॉर्ड में रखा जाएगा तथा आवश्यक हो तो महालेखाकार को प्रस्तुत किया जाएगा।
- लघु आकस्मिक प्रभारो का भुगतान प्रपत्र G.A 107 में किया जाएगा।
- VPP द्वारा प्राप्त वस्तुओं के संदर्भ में vpp का कवर पेज बिल सहित वाउचर के रूप में स्वीकार किया जाएगा
II समयातीत क्लेम-पूर्व जांच
नियम 90: समयातीत क्लेम:
- वेतन एवं भत्ता, यात्रा भत्ता, चिकित्सा प्रभार, आकस्मिक व्यय, सहायता अनुदान, छात्रवृति आदि सरकार के विरुद्ध कोई भी क्लेम उनके देय होने की तारीख से 2 वर्ष की अवधि के भीतर प्रस्तुत किए जाएंगे अन्यथा ऐसे क्लेम को समयातीत समझा जायेगा तथा वह सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति के बिना प्रस्तुत नहीं किया जाएगा।
- यह नियम 2000/- या कम के दावों पर लागू नहीं होता है,उन्हें उनके देय होने की तारीख से 3 वर्ष के भीतर प्रस्तुत किया जा सकता है।
- सरकार के विरुद्ध 3 वर्ष से अधिक पुराने 100/- रुपए तक के समस्त छुटपुट क्लेम तत्काल अस्वीकार कर दिए जाएंगे।
नियम 91: पूर्व जांच: सभी समयातीत दावों को सक्षम अधिकारियों( कार्यालयअध्यक्ष /प्रादेशिक अधिकारी /विभाग अध्यक्ष) द्वारा उन्हें प्राप्त शक्तियों के अनुसार पूर्व जांच के पश्चात ही स्वीकृत किया जाएगा।
नियम 92: पूर्व जांच के लिए आवश्यकताऐ :
- कार्यालय अध्यक्ष का यह प्रमाण पत्र की कार्यालय अभिलेख के अनुसार दावे का भुगतान पूर्व में नहीं किया गया है।
- संबंधीत दावेदार से यह प्रमाण पत्र की उसने यह दावा राशि पूर्व में प्राप्त नहीं की है।
- दावेदार द्वारा निष्पादित विधिवत टिकट लगा हुआ एक क्षतिपूर्ति बंधपत्र जिसमें उन सभी अधिभुगतानों का रिफंड करने का वचन दिया जाएगा,जो बाद में अधिक भुगतान किए गए पाए जाएंगे।
नियम 93: पूर्व जांच के लिए समय सीमा की गणना: नियम 90 में विहित समय सीमा(2 वर्ष) भुक्तान देय होने की तिथि से निम्नअनुसार गिनी जाएगी –
- सहायता अनुदान ,छात्रवृत्ति, राजस्व जमा एवं अन्य दावों के प्रतिदाय उनकी स्वीकृति की दिनांक से।
- आकस्मिक दावे, जिस माह में दावा DDO को प्रस्तुत किया गया है, उसके अगले माह की प्रथम दिनांक से।
- ऐसा दावा जिसके भुगतान हेतु निर्धारित समय अवधि में दावा कोषागार में प्रस्तुत कर दिया गया हो परंतु इस पर कोई आपत्ति किए जाने से भुगतान में विलंब हुआ हो तो 2 वर्ष की समय अवधि व्यतीत होने के उपरांत भी वह समयातीत की श्रेणी में नहीं आएगा।
नियम 94: परिसीमा अधिनियम (लीमिटेशन एक्ट) के अधीन समय-बाधित दावे: परिसीमा अधिनियम 1963 के तहत ऐसे दावे जो समय अवधि व्यतीत होने के बाद प्रस्तुत किए जाते हैं उन्हें स्वीकार नहीं किए जाएंगे। ऐसे दावों का भुगतान सक्षम प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृति के बिना नहीं किया जाएगा।
III चैक
नियम 95: चेक आहरण के लिए प्राधिकारी: इन नियमों में वर्णित के अतिरिक्त, अन्य कोई भी व्यक्ति सरकार/महालेखाकार के विशेष आदेशों के बिना कोषागार से चैक आहरण के लिए अधिकृत नहीं होगा।
नियम 96: कोषागार द्वारा चेक बुक उपलब्ध कराना:
- संबंधित DDO को चेक बुक जिला कोषागार द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी
- प्रत्येक चेक बुक के अंत में दिए गए मुद्रित मांगपत्र पर DDO के विधिवत हस्ताक्षर सहित प्राप्त होने पर ही कोषाधिकारी चेक बुक उपलब्ध कराएगा।
नियम 97: प्रत्येक बैंक /कोषागार के लिए अलग चेक बुक:
- प्रत्येक बैंक या उपकोषागार के लिए एक प्रथक चेक बुक प्रयोग में ली जाएगी।
- समय-समय पर जारी की गई प्रत्येक चेक बुक की संख्या तथा उसमें चेकों की संख्या की सूचना DDO के पूर्ण विवरण सहित कोषाधिकारी द्वारा संबंधित bank/उपकोषागार को साथ साथ दी जाएगी।
नियम 98: बैंक /उपकोषागार को सूचना: प्रत्येक DDO उस बैंक/उपकोषागार को, जिस पर वह चैक लिखता है प्रत्येक चेक बुक की संख्या एवं उस बुक में चेकों की संख्या के बारे में सूचना देगा।
नियम 99: चेक बुक की जांच: चेक बुक को प्राप्त करने पर उनकी DDO द्वारा सावधानी पूर्वक जांच की जाएगी
नियम 100: चेक बुक की अभिरक्षा: चेक बुक को DDO द्वारा ताले के भीतर अपनी अभिरक्षा में रखा जाएगा।
नियम 101: चेकों को लिखने की सावधानी:
- सभी चेकों के दाएं कोने में रेखा खींच कर उनके बीच में एक ऐसी राशि लिखी जाएगी जो उस राशि से कुछ ज्यादा होगी जिसके लिए वह चेक मंजूर किया गया है। यह राशि नियम 79(3) के अनुसार लिखी जाएगी।
- बैंक या कोषाधिकारी द्वारा अंको व शब्दों की सावधानी से जांच की जानी चाहिए।
- चेक के सभी संशोधन व परिवर्तनों को DDO द्वारा अपने पूर्ण हस्ताक्षर से प्रमाणित किया जाना चाहिए
नियम 102: सरकारी बकाया के निपटारे में रेखांकित, आदेश (ऑर्डर) और धारक (वाहक) चेक जारी करना:
- सरकारी बकाया के लिए DDO तथा विभागों को जारी किए जाने वाले चेक सदेव रेखांकित किए जाने चाहिए तथा उन पर Account Payee Only-Not Negotiable लिखा जाना चाहिए
- निगमों, ठेकेदारों एवं फर्मों के लिए जारी किए गए चेक को रेखांकित कर Account Payee Only लिखा जाना चाहिए
- सरकारी कर्मचारियों एवं प्राइवेट व्यक्तियों के पक्ष में जारी किए गए चेक को रेखांकित कर Account Payee Only किया जाना चाहिए।
- आदेश पर दिए चेक का भुगतान बैंक/कोषागार द्वारा स्वयं प्राप्तकर्ता या अन्य व्यक्ति, जिसे वह पृष्ठांकित किया गया हो, के द्वारा रसीद देने पर ही किया जाएगा।
नियम 103: चेकों की सूचना: सभी मामलों में 1000/- या उससे अधिक के जारी किए गए चेकों को जारी करने की सूचना कोषागार/बैंक को भेजी जानी चाहिए।
नियम 104: चेक की राशि: 100/- से कम की राशि के चेक जारी नहीं किए जाएंगे।
नियम 105: आयकर/बिक्री कर की कटौती: निर्माण कार्यो/कार्य की संविदा का चेक से भुगतान करते समय क्रमशः आयकर एवं बिक्री कर की कटौती की जाएगी तथा संबंधित व्यक्ति को कटौती का प्रमाण पत्र दिया जायेगा।
नियम 106: चेक की वैद्यता अवधि: चैक प्राधिकृत किए जाने के बाद 30 दिन की अवधि में कभी भी भुगतान योग्य होगा।इसके बाद चेक को प्राधिकृत किए जाने की तिथि से 12 माह में कभी भी भुक्तान हेतु पुनर्वेध किया जा सकता है। किसी वित्तीय वर्ष में जारी किया गया कोई भी चेक उस वर्ष 31 मार्च तक ही वैध/पुनरवैध होगा।
नियम 107: यह नियम लोपित हो गया है।
नियम 108: चेकों को निरस्त करना:
- यदि किसी चेक को निरस्त करना आवश्यक हो तो उसके निरस्तीकरण का उल्लेख चेक के counterfoil पर किया जाएगा तथा संबंधित व्यक्ति के पास उपलब्ध चेक को नष्ट कर दिया जाएगा। यदि चैक उपलब्ध नहीं हो तो कोषागार/बैंक को चेक का भुगतान रोकने हेतु सूचित किया जाएगा।
- यदि किसी चेक के जारी किए जाने के 12 माह बाद तक किसी कारण से उसका भुगतान नहीं हो पाए तो उसे उपर्युक्त तरीके से निरस्त कर दिया जाएगा तथा उसकी राशि खातों में पुनः जमा कर ली जाएगी।
नियम 109: उपयोग में नहीं लिए गए चेकों को लौटाना: जब चेक की राशि का आहरण आवश्यक नहीं हो तो चेक बुक में आंशिक या पूर्ण रूप से अनूपयोजित रहे चेकों पर तथा उनके counterfoil पर DDO के हस्ताक्षर किए बिना शब्द cancelled लिख कर उन्हें निरस्त किया जाए। यह चेक संबंधित कोषाधिकारी को लौटा दिए जाएं वह इस संबंध में टिप्पणी कोषागार के संबंधित अभिलेख में दर्ज कर इन्हें जलाकर नष्ट कर देगा।
नियम 110:
१.) चैक रोलों/चेकों का खो जाना: इसकी सूचना तुरंत संबंधित बैंक शाखा को दी जाएगी।
२.) जारी किए गए चेक का खो जाना: यदि DDO को यह सूचना दी जाती है कि उसके द्वारा लिखा गया कोई चेक भुगतान से पहले खो गया है तो वह इसका कारण अभिलिखित करेगा और कोषागार को तुरंत सूचित करेगा।कोषागार, संबंधित बैंक शाखा को भुगतान रोकने के आदेश जारी करेगा।
नियम 111:
१.) चेक द्वारा भुगतान किया हुआ समझा जाना:
a.) यदि चैक प्राप्तकर्ता या उसके प्राधिकृत वाहक को सौंपा जाता है तो चैक सौंपने की दिनांक को।
b.) यदि वह प्राप्तकर्ता को उसके निवेदन पर भुगतान हेतु डाक द्वारा भेज दिया जाता है तो चेक को डाक में भेजने की दिनांक को।
२.) कोषागार में बिलों को रखना: सभी पारित बिल कोषागार/उपकोषागार द्वारा रख लिए जाएंगे तथा इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट एडवाइस सिस्टम से बैंक को भेज दी जाएगी। प्रस्तुत बिल के प्रति जारी चेक प्रेषण पर्ची के साथ DDO को दिए जाएंगे। (परिपत्र दिनांक 11.9.2013 द्वारा प्रतिस्थापित)
नियम 112: बाद की तिथि के चैक: जिन चेकों का किसी विशेष तिथि से पूर्व भुगतान प्राप्त नहीं किया जा सकता, उनकी राशि लिखो मैं उसे दिन चार्ज की जाएगी जिस दिन वे भुगतान के लिए देय होते हैं।
नियम 113: चेक / बिलों आदि का पृष्ठांकन : भुगतान के लिए कोषागार/बैंक में प्रस्तुत करने योग्य समस्त चेक DDO द्वारा केवल एक बार ही विनिर्दिष्ट पक्षकार को ही, जिसे राशि का भुगतान किया जाता है, पृष्ठांकित किए जा सकते हैं लेकिन जब किसी DDO के पक्ष में चेक जारी किया जाता है तो उसके द्वारा द्वितीय पृष्ठांकन वाहक या संबंधित पक्षकार के पक्ष में किया जा सकता है। पृष्ठांकन के लिए चेक ‘account payee’ होना चाहिए।
IV. भुगतान की अन्य विधियां
नियम 114: साख पत्र :
- किसी DDO के पक्ष में सरकार द्वारा जारी किए गए साख पत्र में यह अधिकतम राशि अंकित की जाएगी जिस राशि तक उस अधिकारी द्वारा संबंधित बैंक/कोषागार से आहरण किया जा सकेगा।
- DDO द्वारा किसी साख पत्र की संपूर्ण राशि को आहरित कर उसे कोषागार या बैंक के किसी अन्य खाते में या किसी निजी खाते में रखने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
नोट: साख पत्र की राशि के लिए जारी किए गए चेक का भुगतान, सीधे बैंक द्वारा उप कोषाधिकारी के हस्तक्षेप के बिना ही कर दिया जाएगा।
नियम 115: साख पत्र का लैप्स होना : साख पत्र जिस वित्तीय वर्ष में जारी किया जाता है उस वित्तीय वर्ष के समाप्त होने पर लैप्स हो जाएगा। चेक का भुगतान उसे जारी किए जाने की तारीख के पश्चात 3 माह के भीतर किसी भी समय किया जा सकेगा। किसी वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही में जारी किया गया चेक केवल उस वित्तीय वर्ष की समाप्ति (31 मार्च) तक की विधिमान्य होगा।
नियम 116: निजी पक्षकारों को सहायता अनुदान का भुगतान :
- निजी पक्षकारों को राजस्थान के बाहर के सभी भुक्तान जो सब्सिडी, अध्ययन ऋण, सहायता अनुदान, क्रय की गई सेवा आदि की प्रकृति के हैं, DDO द्वारा बैंक ड्राफ्ट से किए जाएंगे। इन बैंक ड्राफ्ट को रेखांकित ‘account payee’ किया जाएगा।( ड्राफ्ट तैयार करने में लगा बैंक प्रभार निजी पक्षकार को वहन करना होगा)
- उक्त उपबंध, राजस्व के प्रतिदाय के मामलों में लागू नहीं होंगे, इसमें भुगतान बैंक द्वारा किया जाएगा तथा बैंक प्रभार को सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
V. भुगतान के लिए वाउचर
नियम 117: भुगतान के लिए वाउचर (आहरण एवं वितरण अधिकारी के स्तर पर):
- कोई भी बिल या चैक जब उस पर विधिवत रसीद दे दी जाती है तथा भुगतान किया एवं निरस्त किया (paid & cancelled) की मोहर लगा दी जाती है तो वाउचर बन जाता है।
- ‘शुन्य’ राशि के समायोजन बिलों में किसी राशि का कोई भुगतान नहीं होता, इसलिए उन बिलों पर भुगतान की प्राप्ति रसीद देने के लिए जोर नहीं दिया जाना चाहिए।
- प्राप्तकर्ता द्वारा नकद या चेक से एक ही समय पर प्राप्त किए गए एक से अधिक भुगतान की एक ही रसीद दी जा सकती है। ऐसे में DDO उस रसीद से संबंधित सभी वाउचरों में उसका संदर्भ अंकित कर देगा।
नियम 118: भुगतान आदेश: प्रत्येक वाउचर पर एक भुगतान आदेश दिया जाएगा जिस पर DDO द्वारा उस राशि को शब्दों एवं अंको दोनों में उल्लेखित करते हुए हस्ताक्षर या लघु हस्ताक्षर किए जाएंगे।
नियम 119: भुगतान किए गए वाउचर: सभी भुगतान किए गए वाउचर पर ‘भुगतान किया गया’ या ‘निरस्त किया गया’ की मुहर इस प्रकार लगाई जाएगी कि उन्हें पुनः काम में नहीं लिया जा सके। वाउचर पर चिपकाए गए टिकटों को भी इस तरह से रद्द किया जाएगा कि उन्हें दुबारा काम में ना लिया जा सके।
नियम 120: वाउचरों को प्रतिधारित (सुरक्षित) करना: जिन वाउचरों को महालेखाकार को भेजने की आवश्यकता नहीं उन्हें सावधानीपूर्वक रखा जाएगा जब तक कि उनकी लेखा परीक्षा ना कर ली जाए तथा उन्हें नियमों के अनुसार सक्षम प्राधिकारी के आदेशों से नष्ट ना कर दिया जाए।
नियम 121: महालेखाकार को वाउचर प्रस्तुत करना:
- जब तक किसी मामले में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक(CAG) अन्यथा आदेश ना दे , 1000/- रूपये की राशि से अधिक के उप-वउचरो को महालेखाकार को प्रस्तुत किया जाएगा।
- विस्तृत बिल के मामलों में रसीदो एवं उप-वाउचर को DDO द्वारा अपने स्वयं के कार्यालय में रखा जाएगा तथा उन्हें महालेखाकार की स्थानीय ऑडिट टीमों को उनके मांगे जाने पर उपलब्ध कराया जाएगा।
नियम 122: उप-वाउचरों को रद्द करना: बिलों में सभी उप-वाउचर को इस तरीके से रद्द किया जाए कि उन्हें कपट पूर्ण क्लेम प्रस्तुत करने या कपट पूर्ण प्रयोजनों के लिए पुनः काम में नहीं लिया जा सके।
नियम 123: उप-वाउचरों को निरस्त एवं नष्ट करना: इस मामले में समस्त DDO और नियंत्रक अधिकारियों द्वारा निम्न नियमों का पालन किया जाएगा-
- जब तक किसी मामले में किसी नियम या आदेश द्वारा स्पष्ट रुप से उपबंधित नहीं किया जाए, 3 वर्ष की अवधि के बीतने तक कोई उप-वाउचर नष्ट नहीं किए जाएंगे।
- प्रत्येक उप वाउचर जिसे बिलों के साथ महालेखाकार या नियंत्रक अधिकारी को अग्रेषित नहीं किया जाता बल्कि कार्यालय में उस अभिलेख के साथ रखा जाता है उस पर रबड़ की मोहर लगाकर या लाल स्याही से वाउचर को क्रॉस करते हुए पृष्ठांकन के द्वारा विधिवत निरस्त कर दिया जायेगा तथा ऐसे निरस्तीकरण पर DDO द्वारा लघु हस्ताक्षर किए जाएंगे।
VI. अधि भुगतान की वसूली
नियम 124: अधिभुगतान : ऐसे विशेष आदेशों, जो सरकार वैयक्तिक मामलों में जारी करें, के अध्यधीन रहते हुए, अधिभुगतान की जिम्मेदारी प्रारंभिक रूप से बिल के लेखिवाल(drawer) की होगी तथा नियंत्रक अधिकारी या कोषागार अधिकारी में से किसी के द्वारा उसकी वसूली करने के प्रश्न पर विचार किया जा सकेगा।